महिला स्वास्थ्य और रोजगार पर सीएम धामी ने जगाई उम्मीदें, उत्तराखंड का सुविधा सम्पन्न ज़िला बनने की ओर अग्रसर चम्पावत
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चंपावत। उत्तराखंड में विकास की दृष्टि से पिछ्ड़े चंपावत में उप चुनाव को लेकर गहमागहमी है। प्रचार प्रसार चल रहा है और भाजपा तथा कांग्रेस तमाम मुद्दों को लेकर जनता के बीच मे है। रोजगार के साथ ही स्वास्थ्य और शिक्षा में जिन मुद्दों को मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने छुआ है अगर, धरातल पर उतरे तो चंपावत की गिनती प्रदेश के सुविधा संपन्न जिले के रूप में होगी। अन्य पर्वतीय जिलों की भांति चंपावत में भी स्वास्थ्य सुविधाओं की समस्या है। ज़िला अस्पताल से सीएचसी 75 किलोमीटर दूर है। महिलाओं को सबसे अधिक स्वास्थ्य दिक्क़ते झेलनी पड़ती है। प्रसव पीड़ा से परेशान महिलाओं को दूरस्थ क्षेत्रों मे डोली के माध्यम से अस्पताल पहुँचाया जाता हैं। वहीं अस्पतालों मंे डॉक्टर ओर पैरामेडिकल स्टॉफ का टोटा बना हुआ है। सड़क दुर्घटना, प्राकृतिक आपदा अथवा अन्य वजह से गंभीर मरीजों के सामने निजी अस्पतालो का रुख करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। लेकिन सीएम की घोषणा से उम्मीद बढ़ी है। उसमें सयुंक्त चिकित्सालय टनकपुर में सर्जनो की तैनाती और सुविधाओं के विस्तार के साथ टनकपुर में बंद पड़े ट्रामा सेन्टर के दोबारा संचालन के अश्वासन से लोगों को राहत मिल सकती है। क्षेत्र के लोग इन मांगो को लम्बे समय से उठाते रहे हैं।
वहीं सलोनी जंगल मे सिडकुल खुलने से क्षेत्र के हजारों युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे। आसपास के अन्य जिलों को भी रोजगार मिल सकेगा। रुर्द्पुर और सितारगंज के बाद चंपावत को औधोगिक क्षेत्र के रूप में पहचान मिल सकेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी सभाआंे में साफ तौर पर कह चुके हैं कि उनके द्वारा जो भी अश्वासन क्षेत्र की जनता को दिए गये है उन पर गहन अध्ययन किया गया है। पूर्व में भी जो घोषणाए हुई उन पर अमल किया गया है और नतीजे दिख रहे हैं। सीएम के लिये सीट छोड़ने वाले पूर्व विधायक कैलाश गहतोड़ी ने सीट छोड़ने के लिये चंपावत के विकास को आधार बताया। अगर, घोषणाओ पर अमल हुआ तो लोगों को स्वास्थ्य और रोजगार जैसी समस्याओं से काफी राहत मिल सकती है।
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