blog

सीमा को ले कर देश को भरोसे में लें

अरुणाचल प्रदेश पर चीन की नजर है। रक्षा विशेषज्ञों ने कहा है कि अभी जो हुआ है, वह ग्रे-जोन ऑपरेशन है। लेकिन आगे बात और बिगड़ सकती है। चीन का अधिक आक्रामक रुख देखने को मिल सकता है।

खबरों के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प नौ दिसंबर को हुई। 12 दिसंबर को उसकी खबर सूत्रों के हवाले से आई। क्या यह हैरतअंगेज नहीं है कि तीन दिन तक दोनों देशों की सरकारें ऐसी भडक़ाऊ घटना को लेकर चुप्पी साधे रहीं? हैरतअंगेज हाल यह भी है कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ-साथ कूटनीतिक मोर्चे भी तनाव जारी होने के बावजूद कारोबार के क्षेत्र में संबंध लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में एक आम भारतीय के लिए यह समझना कठिन हो गया है कि दोनों देशों के बीच रिश्तों की वास्तविक स्थिति क्या है। जून 2020 में गलवान में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प होने के बाद भारत सरकार की तरफ से आए कुछ बयानों ने भ्रम और बढ़ा दिया था। मसलन, प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारतीय क्षेत्र में कोई घुसपैठ नहीं हुई है। उधर केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने तो यहां तक कह दिया था कि चीन के फौजियों ने जितनी बार घुसपैठ की है, उससे कई गुना ज्यादा बार भारतीय सैनिकों ने ऐसा किया है।

इस बीच देश के अंदर राष्ट्रवादी भावनाओं का उफान जरूर आया, लेकिन जहां चीन को सचमुच जवाब देने की जरूरत थी, वहां कुछ हुआ- ऐसी जानकारी सार्वजनिक रूप से मौजूद नहीं है। अब जबकि अरुणाचल प्रदेश से लगी चीन की सीमा पर भी हालात बिगडऩे के संकेत हैं, तो यह उचित अपेक्षा है कि भारत सरकार इस बारे में देश को भरोसे में ले। इसकी शुरुआत सर्वदलीय बैठक से की जा सकती है, लेकिन जरूरी यह भी है कि आम जन को भी वास्तविक स्थिति के बारे में मालूम हो। ऐसी चर्चाएं रही हैं कि अरुणाचल प्रदेश पर चीन की नजर है। रक्षा विशेषज्ञों ने कहा है कि अभी जो हुआ है, वह ग्रे-जोन ऑपरेशन है। लेकिन आगे जा कर बात और बिगड़ सकती है और चीन का अधिक आक्रामक रुख देखने को मिल सकता है। इसलिए ऐसी तमाम अवांछित स्थितियों के लिए देश को तैयार रहना होगा। सरकार इसकी शुरुआत लोगों को असल हालत से जागरूक करते हुए कर सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *