नै पढवळी लोकगीतांग पंकज जुगलाण क रंत रैबार न ल्यायी जब साक्षात्कार
उत्तराखण्ड मा लोकगीतू अपणू अलग ही रस्याण च। लोकगीत अर लोकगीतांग एक दूसर क साज बाज छन। बगत बदली लोकगीतू
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Read moreअजकलि पहाड़ मा कुच्छ लोग अपणी जमीन रसूखदार लोगू तै बिचणा । जु लोग पहाड़ या गढ़वाल छोड़ी भैर बसि
Read moreरिखणीखाल महोत्सव कु आगाज। एक जुठ एक मुठ ह्वे की उरये ग्याई उ तीन दिन कौथिग। जल जंगल अर अपणु
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