उत्तराखंड को बम धमकी मिलने के बाद भी बंद पड़े हैं राजधानी देहरादून रेलवे स्टेशन के सीसीटीवी कैमरे

उत्तराखंड को बम धमकी मिलने के बाद भी बंद पड़े हैं राजधानी देहरादून रेलवे स्टेशन के सीसीटीवी कैमरे

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 देहरादून। बम से उड़ाने की धमकी मिलने के बाद एक बार फिर रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा व्यवस्था सवालों के कठघरे में है। राजधानी देहरादून का रेलवे स्टेशन ही बदहाल सुरक्षा व्यवस्था का सबसे बड़ा उदाहरण है।

ए ग्रेड के इस स्टेशन में न तो सीसीटीवी कैमरे चालू हालत में हैं और न मेटल डिटेक्टर। रेलवे पुलिस भी स्टेशन परिसर से ज्यादा थाना-चौकी के भीतर समय बिताना पसंद करती है।

कुल मिलाकर कोई भी व्यक्ति प्रतिबंधित सामग्री के साथ यहां आसानी से प्रवेश कर सकता है। कमोबेश यही हाल अन्य रेलवे स्टेशनों का भी है। उत्तराखंड पर्यटन प्रदेश ही नहीं है, यहां तमाम केंद्रीय संस्थान भी हैं, जो सुरक्षा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील हैं।

रेल के माध्यम से रोजाना हजारों लोग उत्तराखंड में आवाजाही करते हैं। ऐसे में रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा व्यवस्था का दुरुस्त होना बेहद जरूरी है। इस पर चिंता के साथ चिंतन करने की भी जरूरत है।

बेपटरी परिवहन निगम

केदारनाथ धाम से ऋषिकेश तक सिर्फ 20 रुपये की सवारी लाने वाले परिचालक को भले ही उत्तराखंड परिवहन निगम ने रूट आफ कर दिया है, मगर सवाल यह है कि चालक-परिचालकों की मनमानी थम क्यों नहीं रही। साफ तौर पर इसके लिए अधिकारियों का टालू रवैया ही जिम्मेदार है।

आए दिन बसें बेटिकट पकड़ी जाती हैं, मगर कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं होता। इसी तरह कई दफा फास्टैग खाता खाली होने पर भी लाखों की चपत लगी, मगर जिम्मेदारी तय करने के बजाय हर बार ठीकरा सेवा प्रदाता कंपनी पर फोड़ दिया गया। इन हालात में परिवहन निगम का पटरी पर आना संभव नहीं।

इसके लिए लापरवाही पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है। कार्मिकों को भी विचार करना चाहिए कि 500 करोड़ से ज्यादा घाटा झेल रहे निगम को ऐसी हरकतें किस दिशा में ले जाएंगी। आखिरकार, उनकी रोजी-रोटी भी परिवहन निगम से ही जुड़ी है।

ऐसे होगी सुरक्षा

रविवार को बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर कार हादसे में पांच व्यक्तियों की जान गई। आशंका जताई जा रही है कि झपकी आने से चालक नियंत्रण खो बैठा होगा। हालांकि, जिस जगह हादसा हुआ, वहां सड़क किनारे पैराफिट भी नहीं है।



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