उत्तराखंड में भड़काऊ भाषणों पर चिंता, सांप्रदायिक तनाव रोकने को नोडल अधिकारी नियुक्ति की पैरवी

उत्तराखंड में भड़काऊ भाषणों पर चिंता, सांप्रदायिक तनाव रोकने को नोडल अधिकारी नियुक्ति की पैरवी

[ad_1]

देहरादून। उत्तराखंड में नफरत भरे भाषण और बढ़ते सांप्रदायिक तनाव पर चिंता जताते हुए लेखकों, रिटायर आईएएस अधिकारियों, शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजा गया है। भीड़ हिंसा रोकने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने की मांग की।

पत्र में लिखा कि उत्तराखंड एक शांतिपूर्ण राज्य के रूप में जाना जाता है। उत्तराखंड में नफरत और सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिशों से चिंतित हैं। तथाकथित धर्म संसद के आयोजकों ने छह मई को भी एक बड़े आयोजन की घोषणा की है। सर्वोच्य न्यायालय के 26 अप्रैल को दिए निर्देश को ध्यान में रखते हुए सरकार से सुनिश्चित कदम उठाने की मांग की। मांग उठाई कि राज्य में किसी भी दिन नफरत और हिंसा को बढ़ावा देने वाला कोई भी आयोजन न हो। सरकार सार्वजनिक घोषणा कर कि नागरिकों को पूर्ण सुरक्षा मिलेगी। भीड़ द्वारा किसी भी प्रकार की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसी घटनाएं रोकने के लिए जिम्मेदार नोडल अधिकारी नियुक्त करें। भीड़ हिंसा की रोकथाम के लिए सर्वोच्य न्यायालय के निर्देशों को लागू करें।

पत्र लिखने वालों में लेखक नयनतारा सहगल, पूर्व मुख्य सचिव रिटायर आईएएस एसके दास, रिटायर आईएएस विभा पुरी दास, कुमाऊं विवि के पूर्व कुलपति प्रो. बीके जोशी, रिटायर महालेखा परीक्षक निरंजन पंत, रक्षा अनुसंस्थान के रिटायर वैज्ञानिक पीएस कक्कड़, सर्वे सेवा संघ के बीजू नेगी, आरटीआई क्लब उत्तराखंड के अध्यक्ष बीपी मैठानी, उत्तराखंड महिला मंच की संयोजक कमला पंत, पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा, सीवी लोकगरीवार, फलोरेंस पांथी, इंदिरा चंद, ज्योत्सना बराड़, ममता गोविल, एनएन पांडे, रंजना बनर्जी, रमेश चंद, शंकर गोपाल, एसआर दारापुरी, विजय महाजन, विजय शंकर सिंह, वीरेंद्र पैन्यूली शामिल हैं।



[ad_2]

Source link

admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *