खुले आसमान के नीचे सड़ गई वन विभाग की 10 करोड़ की लकड़ी, जाने कहां का है मामला

खुले आसमान के नीचे सड़ गई वन विभाग की 10 करोड़ की लकड़ी, जाने कहां का है मामला

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धनवाद। वन विभाग अपनी संपत्तियों को लेकर कितना गंभीर है इसका नजारा देखने को मिला धनवाद में जहां 10 करोड़ से अधिक की लकड़ी सड़ने की कगार पर है। राजगंज स्थित वन विभाग के डिपो में करोड़ों रुपए की सरकारी लकड़ी आसमान के नीचे सड़ गई। समय पर नीलामी नहीं होने की वजह से लकड़ियों के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। करीब दस करोड़ रुपए से अधिक की लकड़ी पड़ी है। धनबाद में सड़क निर्माण के दौरान काटे गए पेड़ को राजगंज और गादी टुंडी के विभागीय डिपो में रखा जाता है। वहां केवल हाल के दिनों में काटे गए पेड़ को नहीं रखा गया है, बल्कि कई पेड़ 10-10 साल से वहां पड़े हैं, लेकिन समय पर उनकी नीलामी नहीं हो पाई। लकड़ियों के ऑक्शन की जिम्मेदारी लघु वन पदार्थ परियोजना की है, जिसके प्रभारी गिरिडीह में बैठते हैं। उनके जिम्मे झारखंड के कई जिलों का प्रभार है।

लघु वन पदार्थ परियोजना का दावा है कि समय-समय पर ऑक्शन निकाला जाता है, लेकिन अगर समय पर ऑक्शन किया जाता, तो इतनी लकड़ियों का ढेर नहीं लगता। ऑक्शन में जो खरीदार आते हैं, वे नई लकड़ियों को ले जाते हैं और पुरानी छोड़ जाते हैं। राजगंज डिपो में कई ऐसी लकड़ियां रखी हैं, जिनपर 2017 लिखा है। लकड़ियों का ढेर देखकर ही लगता है कि वर्षों से ये पड़ी-पड़ी सड़ गई है। इससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हो रहा है।

लघु वन पदार्थ परियोजना के प्रमंडलीय प्रबंधक अंकित कुमार ने कहा, राजगंज और गादी टुंडी में रखी गई लकड़ियों की समय-समय पर नीलामी की जाती है। गादी टुंडी की सभी लकड़ियां बिक गई हैं। अगले महीने राजगंज डिपो में पड़ी लकड़ियों का ऑक्शन किया जाएगा। पुरानी लकड़ियों को खरीदने में लोग कम रुचि दिखाते हैं।



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