एम्स ऋषिकेश में अब पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का मिलेगा लाभ, 13 जुलाई को होगा उद्घाटन

एम्स ऋषिकेश में अब पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का मिलेगा लाभ, 13 जुलाई को होगा उद्घाटन

ऋषिकेश। इलाज के लिए एम्स ऋषिकेश आने वाले रोगियों को अब आधुनिक चिकित्सा पद्धति के साथ पारंपरिक चिकित्सा पद्धति (आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी )का भी लाभ मिलेगा। इसके लिए एम्स के आयुष विभाग में इंटीग्रेटिव मेडिसिन विभाग की स्थापना की गई है। इसमें पंचकर्मा की सुविधाएं भी शामिल हैं। केंद्र का उद्घाटन 13 जुलाई को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डा. भारती प्रवीण पवार करेंगी। हमारी आबादी का एक तबका जीवन शैली से जुड़ी कुछ ऐसी बीमारियों से ग्रसित है जिनका पूर्ण उपचार किसी एक चिकित्सा पद्धति से संभव नहीं है। इस प्रकार की बीमारियों में अलग-अलग चिकित्सा पद्धतियों के सहयोग की जरूरत महसूस होती है। एम्स ऋषिकेश में अब इस प्रकार की गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों का इलाज एक ही स्थान पर हो सकेगा।

केंद्र सरकार की पहल पर इसे ध्यान में रखते हुए संस्थान में इंटीग्रेटिव (एकीकृत) मेडिसिन विभाग की एक अलग डिवीजन बनाई जा रही है। उल्लेखनीय है कि एम्स में आयुष विभाग की सेवाएं पूर्व में भी संचालित थीं लेकिन वर्ष 2019 में कोविड काल के दौरान इसे बंद करना पड़ा था। एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो डा. मीनू सिंह ने बताया कि मरीजों को अधिकाधिक स्वास्थ्य लाभ देने के उद्देश्य से संस्थान के आयुष भवन में इंटीग्रेटिव मेडिसिन केंद्र खोला जाएगा। जहां आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों से मरीजों का उपचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ कई बीमारियों में आयुर्वेदिक और पारंपरिक चिकित्सा पद्धति भी लाभकारी सिद्ध हुई है। ऐसे में इंटीग्रेटिव मेडिसिन विभाग के अंतर्गत ऐसी बीमारियों का साक्ष्य आधारित इलाज होने के साथ-साथ इसमें अनुसंधान कार्य भी हो सकेंगे।

साथ ही इस विभाग की ओर से पारंपरिक दवाओं और योग को आगे बढ़ाने का कार्य भी किया जाएगा। प्रो. मीनू सिंह ने बताया कि इस केंद्र में आयुर्वेद से संबंधित पंचकर्मा जैसी स्वास्थ्य सुविधाएं भी शुरू की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि समावेशी स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने की दिशा में यह विभाग मरीजों के बेहतर इलाज के लिए बहुलाभकारी सिद्ध होगा।

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