भाजपा में चुनावी राज्यों पर चिंता

भाजपा में चुनावी राज्यों पर चिंता

भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक बुधवार की शाम को पार्टी मुख्यालय में हुई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए। इससे इस बैठक की गंभीरता का पता चलता है। हालांकि हैरान करने वाली बात यह है कि केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक आमतौर पर चुनावों की घोषणा के बाद होती है और बैठक के तुरंत बाद उम्मीदवारों की घोषणा होती है। यह कमेटी उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए बैठती है। इस बार ऐसा नहीं हुआ है। इस बार बैठक चुनाव की रणनीति पर विचार के लिए हुई। कायदे से यह विचार विमर्श भाजपा के संसदीय बोर्ड की बैठक में होनी चाहिए थी, लेकिन वह चुनाव समिति की बैठक में हुई।

बताया जा रहा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व राज्यों में चुनावी तैयारियों और हालात को लेकर बहुत भरोसे में नहीं है। भाजपा के जानकार सूत्रों का कहना है कि पार्टी को कांग्रेस शासित दोनों राज्यों की चिंता है। यानी राजस्थान और छत्तीसगढ़ को लेकर भाजपा ज्यादा चिंता में है। यह हैरान करने वाली बात है क्योंकि अब तक यह माना जा रहा था कि भाजपा राजस्थान में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है और मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ को लेकर चिंता में है। लेकिन पार्टी की बुधवार को हुई बैठक के बाद दूसरी खबर सामने आ रही है।

ध्यान रहे बुधवार की बैठक में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल थे। वे चुनावी राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं, बल्कि केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य के तौर पर बैठक में शामिल हुए। उन्होंने अपनी सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के बारे में चुनाव समिति को बताया। जानकार सूत्रों का कहना है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी इसके बारे में पहले से जानकारी है। पिछले दिनों अमित शाह ने भोपाल का दौरा किया था तब भी उनको फीडबैक मिली थी। पार्टी को अलग अलग सोर्सेज से मिली जानकारी का लब्बोलुआब यह है कि शिवराज सरकार ने लाड़ली बहन योजना सहित जो दूसरी योजनाएं शुरू की हैं उनका जमीनी स्तर पर असर हो रहा है। इसलिए मध्य प्रदेश में मुकाबला एकतरफा नहीं है। कांटे की लड़ाई है, और प्रचार व प्रबंधन से पलड़ा किसी भी तरफ झुक सकता है।

बताया जा रहा है कि जिस तरह से मध्य प्रदेश में सरकार की योजनाएं असर दिखा रही हैं उसी तरह राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की सरकारों की ओर से चलाई जा रही योजनाओं का असर दिख रहा है और यही बात भाजपा को चिंता में डालने वाली है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की शुरू की गई चिरंजीवी योजना हो या न्यूनतम आय की योजना हो, उसका व्यापक असर हुआ है। इसी तरह छत्तीसगढ़ में न्याय योजना का असर दिख रहा है। तभी राजस्थान में जहां पहले भाजपा के पक्ष में एकतरफा माहौल दिख रहा था वहीं अब मुकाबला कांटे का होता जा रहा है। तभी बताया जा रहा है कि भाजपा ने कांग्रेस शासित राज्यों के चुनाव में ज्यादा ताकत लगाने का फैसला किया है।

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