विशेष सत्र का गोपनीय एजेंडा

विशेष सत्र का गोपनीय एजेंडा

अब यह साफ हो गया है कि संसद का विशेष सत्र शुरू होने से एक-दो दिन पहले तक सरकार इसक एजेंडा गोपनीय रखेगी। सोनिया गांधी की चिट्ठी के जवाब में संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने लिखा है कि सब कुछ परंपरा और नियम के हिसाब से हो रहा है। हर बार सरकार सत्र से पहले सभी दलों की बैठक बुलाती है, जिसमें एजेंडा बताया जाता है। इस बार भी ऐसा ही किया जाएगा। हालांकि जब नियमित सत्र होते हैं तब के लिए यह बात ठीक है कि सरकार दो दिन पहले एजेंडा बताती है। लेकिन जब विशेष सत्र बुलाया गया है तो जाहिर है कि उसमें रूटीन के काम नहीं होने हैं। किसी खास मकसद से सत्र बुलाया गया है तो उसका एजेंडा पहले बताया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा लग रहा है कि सरकार हर चीज को गोपनीय रखने और एकदम से लोगों को चौंका देने के अपवाद को अपने कामकाज का नियम बना लिया है।

बहरहाल, जानकार सूत्रों का कहना है कि संसद के विशेष सत्र में कोई विधेयक नहीं पेश किया जाएगा। विपक्ष को दो बातों की चिंता है। पहली बात तो यह कि क्या सरकार एक देश, एक कानून का बिल ला सकती है? लेकिन इसकी कोई संभावना नहीं है। क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में जो कमेटी बनी है उसकी एक भी बैठक नहीं हुई है। पहले सदस्यों की औपचारिक बैठक होगी। उसमें उस मकसद पर चर्चा होगी, जिसके लिए कमेटी बनाई गई है। उसके बाद राज्यों, राजनीतिक दलों, चुनाव आयोग, सिविल सोसायटी आदि से सलाह-मशविरा होगा। पहली बैठक जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद ही होगी। सो, यह संभावना नहीं है कि कमेटी 18 सितंबर तक कोई रिपोर्ट दे पाएगी।

दूसरी चिंता यह है कि संविधान में संशोधन करके देश का नाम सिर्फ भारत रखने का फैसला हो सकता है। लेकिन यह भी नहीं होना है। जानकार सूत्रों का कहना है कि सरकार इंडिया और भारत दोनों नाम रखने के पक्ष में है लेकिन भारत का ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा। नाम का विवाद शुरू होने के बाद केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि इंडिया, भारत या हिंदुस्तान कहिए पर हमारे खिलाड़ी ढेर सारे पदक जीत कर लाएंगे। यह एक संकेत है इस बात का कि सरकार नाम नहीं बदलने वाली है। दोनों सदनों की साझा बैठक की भी कोई योजना नहीं है।

अब रही बात कि विशेष सत्र में क्या हो सकता है? जानकार सूत्रों के मुताबिक कोई विधेयक लाने की बजाय सरकार की ओर से तीन या चार प्रस्ताव पेश किए जा सकते हैं। उन प्रस्तावों पर चर्चा के बाद ध्वनिमत से उन्हें पास कराया जाएगा। पहला प्रस्ताव जी-20 के सफल आयोजन के लिए प्रधानमंत्री मोदी के अभिनंदन का हो सकता है। दूसरा प्रस्ताव चंद्रयान-तीन की सफलता का हो सकता है। उसमें इसरो को वैज्ञानिकों के साथ साथ मोदी और सरकार की सराहना की जाएगी। तीसरा प्रस्ताव 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प का हो सकता है। इस पर प्रधानमंत्री मोदी विस्तार से बोल सकते हैं। इससे अगले चुनाव का एजेंडा तय हो सकता है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि एक प्रस्ताव पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को लेकर भी हो सकता है और एक प्रस्ताव चीन की निंदा का भी हो सकता है। लेकिन ये सारी अटकलें हैं।

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