सीमांत गांव घेस में पूर्व प्रधान बलवंत सिंह बिष्ट की स्मृति में निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन

सीमांत गांव घेस में पूर्व प्रधान बलवंत सिंह बिष्ट की स्मृति में निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन

डॉ एसडी जोशी के नेतृत्व में विचार एक नई सोच सामाजिक संगठन की टीम ने लगाया हैल्थ कैंप

धराली/देवाल। विकासखंड देवाल के सीमांत गांव घेस में वरिष्ठ पत्रकार अर्जुन बिष्ट ने अपने पिता एवं घेस गांव के पूर्व प्रधान बलवंत सिंह बिष्ट की प्रथम पूण्य स्मृति में निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया। विचार एक नई सोच सामाजिक संगठन के सौजन्य से लगाये गये इस हैल्थ कैंप में उत्तराखंड के जाने माने फिजीशियन डॉ एसडी जोशी ने अपनी टीम के साथ शिरकत की। इस मौके पर 334 लोगों की विभिन्न जांचों के साथ दवाईयों का वितरण किया गया। स्थानीय लोगों ने देहरादून से पहुंचे डॉक्टरों और विचार एक नई सोच सामाजिक संगठन टीम का अपनी परंपरागत वेशभूषा में गर्मजोशी के साथ स्वागत किया।

10 अप्रैल को घेस गांव के मूल निवासी देहरादून में कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार अर्जुन बिष्ट ने अपने स्वर्गीय पिताजी स्व. बलवंत सिंह बिष्ट की पहली बरसी के अवसर पर जनपद चमोली की सीमांत ग्राम घेस में एक बृहद स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया। शिविर में घेस, हिमनी, बलाण, लोसिरी, देवसारी, मुन्दोली व सवाड़ आदि क्षेत्रों से भी लोग पहुंचे। इस शिविर का नेतृत्व प्रदेश के जाने-माने फिजिशियन डॉक्टर शंकर दत्त जोशी जी ने किया। इस शिविर में डॉक्टर एसडी जोशी (वरिष्ठ फिजीशियन) एमबीबीएस, एमडी डॉ जीएस रावत (वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ) एमबीबीएस, डी ऑर्थाे, डॉ अंजलि नौटियाल (वरिष्ठ महिला एवं बाल रोग विशेषज्ञ), एमबीबीएस, एमएस व डॉ. आरएस चौहान (वरिष्ठ ईंएनटी विशेषज्ञ) एमबीबीएस, एमएस ने अपनी बहुमूल्य सेवाएं देकर इस दूरस्थ क्षेत्र के लोगों को न केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया बल्कि उनका स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें दवाइयां भी वितरित कराई।

विचार एक नई सोच सामाजिक संगठन के सचिव राकेश बिजलवाण और उनकी टीम ने इस निशुल्क हैल्थ कैंप में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उनकी टीम में दीपक जुगरान, एस. सती व तकनीशियन कपिल थापा मौजूद रहे। शिविर में लगभग 400 लोगों का पंजीकरण व जांचें भी हुई। इस दौरान लगभग 200 से अधिक लोगों का रैंडम शुगर जांच व चार दर्जन से अधिक लोगों की ईसीजी भी करायी गयी।

वरिष्ठ पत्रकार अर्जुन बिष्ट ने कहा यह शिविर सीमांत क्षेत्र के लिए बहुत लाभदायक रहा और निश्चित रूप से स्थानीय लोग जिस तरह से शिविर में उमड़कर आए, उन्हें अपने स्वास्थ्य को लेकर के एक आत्मसंतुष्टि भी हुई होगी। शिविर को संपन्न कराने में ग्राम पंचायत घेस, महिला मंगल दल घेस व व स्थानीय जागरूक लोगों की विशेष भूमिका रही।

कैंप को सफल बनाने में ब्लॉक प्रमुख देवाल, डॉ. दर्शन दानू, शिक्षक डा. कृपाल सिंह भंडारी, वरिष्ठ पत्रकार हरेंद्र बिष्ट, धन सिंह भंडारी, के साथ ही वरिष्ठ पत्रकार यशवंत सिंह बडियारी, हेम मिश्र व इस कार्यक्रम को कवर करने घेस पहुंचे सभी पत्रकार मित्रों का हृदय से आभारी हूं। राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय घेस की नव नियुक्त चिकित्सक डॉ. सिंह, फार्मासिस्ट भट्ट जी व उनके समस्त स्टाफ ने शिविर को संपन्न कराने में अपना बहुमूल्य सहयोग दिया।

इस अवसर पर विशेष रूप से देवाल से पहुंचे सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जीवानंद नौटियाल, पूर्व प्रमुख डीडी कुनियाल, वर्तमान प्रमुख डॉ दर्शन दानू, पूर्व जिला पंचायत सदस्य राजेंद्र सिंह दानू, सुरेंद्र सिंह खत्री, पूर्व जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मण सिंह बिष्ट, पूर्व बीडीसी मेंबर कलम सिंह पटाकी, कृपाल सिंह पटाकी प्रधान कलावती देवी और बीबीसी मेंबर पदम राम व सूबेदार मेजर लक्ष्मण सिंह बिष्ट, उनकी धर्मपत्नी हेमलता बिष्ट, हेमा बिष्ट, राहुल, श्रुति बिष्ट ने कैंप को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

महावीर चक्र विजेता जसवंत सिंह रावत के अनन्य सहयोगी थे बलवंत सिंह बिष्ट

सीमांत ग्राम घेस के दो बार प्रधान रहे स्व. बलवंत सिंह बिष्ट का जन्म वर्ष 1938 में यहीं मल्ला किखोला में पंचम सिंह बिष्ट और श्रीमती सरस्वती देवी के घर में हुआ। 19 साल की आयु में बलवंत सिंह सेना में भर्ती हो गये और चौथी गढ़वाल राइफल ज्वाइन की। उन्होंने पहले भारत चीन युद्ध 1962, उसके बाद पाकिस्तान के साथ 1965 और 1971 में हुई लड़ाईयों में भी भाग लिया। 1962 की लड़ाई के बाद वे चीन में 6 महीने तक युद्धबंदी भी रहे। वे महावीर चक्र विजेता जसवंत सिंह रावत के अनन्य सहयोगियों में से एक थे। पारिवारिक परिस्थितियों के चलते वे 1967 में सेना छोड़कर घर आना पड़ा, लेकिन रिजर्व सैनिक होने के नाते उन्हें फिर से 1971 के युद्ध में बुलाया गया। इस बीच वे ग्राम सभा घेस के प्रधान चुन लिए गए थे। गांव आकर उन्होंने समाज सेवा का बीड़ा उठाया और जनसेवा में समर्पित हो गये। सेना छोड़ने के बाद उन्होंने सबसे पहले गांव में सस्ते गल्ले की दुकान खुलवाई। इससे पहले लोगों को सस्ते गल्ले की दुकान की सुविधा लेने के लिए 20 किलोमीटर दूर जैनबिष्ट जाना पड़ता था। वे मात्र 27-28 साल की उम्र में वे घेस और हिमनी के प्रधान चुने गये। इसके बाद वे पूर्व विधायक शेर सिंह दानू जी के सहयोग से इस क्षेत्र के विकास में जुट गये। जब उनका प्रधान का पहला कार्यकाल खत्म हुआ, तो जनसेवा के लिए उनके समर्पण को देखते हुए गांव के लोगों ने उन्हें फिर से निर्विरोध प्रधान चुन लिया।

दानू जी के साथ रहते हुए बलवंत सिंह उस समय के दिग्गज नेता प्रताप सिंह पुष्पवाण और नरेंद्र सिंह भंडारी के साथ अच्छे संबंध बनाने में कामयाब रहे। अपने इन राजनीतिक संबंधों का उन्होंने इस क्षेत्र के विकास के लिए भरपूर उपयोग किया और 30 साल पुराने प्राइमरी स्कूल को जूनियर हाई स्कूल में अपग्रेड करवाने के साथ ही घेस में चार बेड का आयुर्वेदिक अस्पताल खुलवाने में कामयाब रहे। अस्पताल के लिए उन्होंने अपने आठ कमरे का मकान मात्र 60 रुपए किराए पर दे दिया।

स्वर्गीय बलवंत सिंह जी में गजब की नेतृत्व क्षमता थी। जूनियर हाई स्कूल की स्वीकृति के बाद उन्होंने चारों गांव घेस, हिमनी, बलाण और पिनाऊं के सहयोग से श्रमदान से ही स्कूल की एक बड़ी इमारत बनवा दी। यही नहीं उन्होंने गांव में दो मंजिला पंचायत घर भी जन सहयोग से तैयार करवाया। वर्ष 1979 में वे शेर सिंह दानू जी के सहयोग से देवाल से आगराभ्यल तक 10 किलोमीटर जीप रोड स्वीकृत करने में सफल हो गए थे, लेकिन उसके एक साल बाद भारत सरकार का वन एवं पर्यावरण अधिनियम आने से यह सड़क नहीं बन पायी।

इसी साल वे प्रधान का पद छोड़कर 1979 में सेना सुरक्षा कोर में फिर से नौकरी करने चले गये। सेवानिवृत्त सैनिकों के इस बल में जाने के बाद उन्हें पश्चिमी सेक्टर के महत्वपूर्ण अम्युनिशन डिपो ऊंची बस्सी, नेवल डॉकयार्ड विशाखापट्टनम और वायु सेना स्टेशन बरेली के साथ ही देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही ऑर्डिनेंस फैक्ट्री, देहरादून में अपनी सेवाएं देने का मौका मिला।
बलवंत सिंह स्वयं पांचवीं से आगे नहीं पढ़ पाये थे, इसी कारण वे क्षेत्र के बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए हमेशा चिंतित रहते थे। घेस में जूनियर हाई स्कूल खुलवाने के बाद उन्होंने सबसे पहले उन बच्चों को स्कूल में भर्ती करवाया जो पांच-सात साल पहले ही पांचवीं पास करके स्कूल छोड़कर भेड़-बकरी पालन में लग गए थे। ऐसे बच्चों के माता-पिता को मनाने में उन्हें बहुत कुछ सुनना भी पड़ा, लेकिन वह उन्हें कक्षा छह में दाखिला दिलाकर ही माने। उनके इस प्रयास से जब जूनियर हाईस्कूल में पहले साल के एडमिशन हुए तो आधे से अधिक बच्चे दाढ़ी मूंछ वाले थे।

विकास के लिए समर्पण और जुझारूपन के कारण बलवंत सिंह तब थराली के ब्लॉक प्रमुख स्व. रामचंद्र उनियाल जी और मुंदोली न्याय पंचायत के वर्षों तक सरपंच रहे स्व. रघुवीर सिंह पधान जी के बहुत करीबी लोगों में से एक थे। हमेशा घेस को एक आदर्श और विकसित गांव का सपना देखने वाले बलवंत सिंह 2023 में परलोक गमन कर गये। क्षेत्र के लिए आपके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।

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