आज मनाया जा रहा उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा से जुड़ा पर्व फूलदेई, फूलों से महक रही घरों की दहलीज

आज मनाया जा रहा उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा से जुड़ा पर्व फूलदेई, फूलों से महक रही घरों की दहलीज

देहरादून। उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा से जुड़ा पर्व फूलदेई आज से मनाया जा रहा है। गढ़वाल व कुमाऊं में विशेष रूप से मनाया जाने वाले इस पर्व पर सुबह फुलारी यानी छोटे बच्चों ने देहरी पूजन कर फूलों से सजाया। अष्टमी के दिन इन फुलारी को लोग मिष्ठान भेंट करेंगे।

पर्वतीय अंचलों में ऋतुओं के अनुसार पर्व मनाए जाते हैं। यह पर्व जहां हमारी संस्कृति को उजागर करते हैं, वहीं पहाड़ की परंपराओं को भी कायम रखे हुए हैं। इन्हीं में शामिल फूलदेई पर्व। वसंत ऋतु के आगमन की खुशी में चैत्र मास की संक्रांति पर आज उल्लास के साथ मनाया जा रहा है।

ऐसे मनायी जाती है फूलदेई 

अखिल गढ़वाल सभा के महासचिव गजेंद्र भंडारी बताते हैं कि फूलदेई के दिन छोटे-छोटे बच्चे सुबह ही उठकर फ्योंली, बुरांस, बसिंग आदि जंगली फूलों के अलावा आड़ू, खुमानी, पुलम, सरसों के फूलों को चुनकर लाते हैं। थाली अथवा रिंगाल से बनी टोकरी में चावल व इन फूलों को सजाकर बच्चों की टोली घर-घर तक पहुंचती है।

पर्व के मौके पर बच्चे लोकगीत गाकर सुख-शांति की कामना करते हैं। इसके बदले में परिवार के सदस्यों द्वारा उन्हें चावल, गुड़ व पैसे दिए जाते हैं। इस पर्व का बच्चों को बेसब्री से इंतजार रहता है।

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