डिग्री कॉलेजों की संबद्धता हटाने के मामले में निर्णय न हुआ तो हजारों छात्र दाखिले से रह जाएंगे वंचित

डिग्री कॉलेजों की संबद्धता हटाने के मामले में निर्णय न हुआ तो हजारों छात्र दाखिले से रह जाएंगे वंचित

देहरादून। गढ़वाल विश्वविद्यालय से 10 अशासकीय डिग्री कॉलेजों की संबद्धता हटाने के मामले में जल्द कोई निर्णय न हुआ तो हजारों छात्र दाखिले से वंचित रह सकते हैं या फिर उन्हें निजी कॉलेजों में भारी भरकम शुल्क देना पड़ेगा। राजधानी में केवल दो सरकारी डिग्री कॉलेज हैं, जिनकी सीटें महज 1240 हैं, जबकि डीएवी, डीबीएस, एमकेपी, एसजीआरआर कॉलेज की सीटें सात हजार से ऊपर हैं। गढ़वाल विवि की कार्यकारी परिषद की बैठक में हुए 10 अशासकीय डिग्री कॉलेजों की असंबद्धता के फैसले के बाद भारी असमंजस है। नए सत्र के दाखिलों की तैयारी कर रहे कॉलेजों के कदम ठिठक गए हैं। अगर संबद्धता खत्म हुई और श्रीदेव सुमन विवि से जल्द न मिली तो बड़ा संकट पैदा होने वाला है।

अकेले देहरादून शहर में ही इस संकट को ऐसे समझा जा सकता है… दरअसल, हर साल सरकारी शुल्क पर चार अशासकीय कॉलेजों में सात हजार से ज्यादा दाखिले होते हैं। अगर इनके मुकाबले सरकारी कॉलेजों की बात करें तो राजकीय डिग्री कॉलेज रायपुर में करीब 800 और राजकीय डिग्री कॉलेज सुद्धोवाला में करीब 440 सीटें हैं। यानी 7000 के सापेक्ष केवल 1240 का विकल्प ही उपलब्ध है। ऐसे में बाकी छात्रों के लिए निजी कॉलेजों के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा, जहां परंपरागत बीए, बीएससी जैसे कोर्सेज का शुल्क सरकारी के मुकाबले 10 गुना से अधिक है।

कोर्स का नाम   अशासकीय       निजी कॉलेज
बीए प्रथम            1323         15,000
बीएससी              2123         20,000
बीकॉम               1323          20,000
एमकॉम              1399          15,000
एमएससी             1799          25,000
एमए                  1399          15,000
बीएड                 3819           70,000

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