उत्तराखण्ड कांग्रेस का आरोप, निकायों में ओबीसी आरक्षण के कारण नहीं, हार के डर से चुनाव नहीं कराना चाहती है भाजपा सरकार

उत्तराखण्ड कांग्रेस का आरोप, निकायों में ओबीसी आरक्षण के कारण नहीं, हार के डर से चुनाव नहीं कराना चाहती है भाजपा सरकार
देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन एवं प्रशासन मथुरादत्त जोशी ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट ओबीसी विरोधी सम्बन्धी बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा अपने गिरेबां में नहीं झाकना चाहती है तभी उसके प्रदेश अध्यक्ष इस प्रकार की अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चाहे संसद में महिला आरक्षण का मामला हो चाहे जातीय जनगणना का मामला हो भाजपा ने दोनों ही मौकों पर अपनी पार्टी के ओबीसी विरोधी होने का सबूत पेश किया है।
मथुरादत्त जोशी ने कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट की याददाश्त बहुत कमजोर है इसीलिए वे इस प्रकार की मिथ्या बयानबाजी पर उतर आये हैं। उन्होंने कहा कि कुछ माह पूर्व ही जब संसद में महिला आरक्षण का बिल पास हो रहा था कांग्रेस पार्टी ने तब भी ओबीसी के लिए आरक्षण में आरक्षण का प्रावधान करने की मांग की थी परन्तु भाजपा ने तब भी अपने ओबीसी विरोधी होने का परिचय दिया था। यही नहीं कांग्रेस पार्टी लगातार पूरे देश में जातीय जनगणना की मांग करती आ रही है परन्तु भाजपा अपनी ओबीसी और दलित विरोधी नीति के चलते ऐसा नहीं होने दे रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के शासन में ही उत्तराखण्ड राज्य के विभिन्न क्षेत्रों को ओबीसी घोषित कर सरकारी योजनाओं का लाभ देने का काम किया गया इसके विपरीत भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को बताना चाहिए कि उनकी सरकारों में ओबीसी वर्ग के लिए क्या काम हुए हैं। उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि भारतीय जनता पार्टी केवल जाति और धर्म के नाम पर लड़ाने का काम कर सकती है।
मथुरादत्त जोशी ने यह भी कहा कि महेन्द्र भट्ट यह भी भूल रहे हैं कि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार है तथा निकाय चुनावों का फैसला भी सरकार के ही हाथ में है परन्तु भाजपा की सरकार चुनावों में जाने से डर रही है तथा हार के डर से ही निकाय एवं पंचायत चुनाव टाले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षण के निर्धारण का दायित्व भी सरकार का होता है न कि विपक्ष का ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के आरोप निराधार ही नहीं अनर्गल और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के मानसिक दिवालियापन को दर्शाने वाले भी हैं।

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