केजरीवाल क्यों टारगेट में सर्वाधिक?

केजरीवाल क्यों टारगेट में सर्वाधिक?

हरिशंकर व्यास
संदेह नहीं है कि मोदी-शाह के नंबर एक टारगेट पर अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी है। वजह क्या? तात्कालिक कारण लोकसभा चुनाव की भाजपा रणनीति है। जबकि मूल कारण केजरीवाल की वह इमेज है, जिससे वे नरेंद्र मोदी की बराबरी में अपने को ईमानदार, राष्ट्रवादी, भारत माता के भक्त, विकास, गरीबों के भले, रेवडिय़ों की जुमलेबाजी करते आए हैं। अरविंद केजरीवाल को भी अभिनय, भाव-भंगिमा, जुमलों और झूठ से लोगों का बहकाना, भक्त बनाना आता है। केजरीवाल भी मध्य वर्ग, गरीब और पढ़े-लिखों सभी में यह धारणा बनवा लेते हैं कि केजरीवाल है तो मुमकिन है। मामूली बात नहीं है जो उन्होंने अपने जादू से 12 साल में आम आदमी पार्टी का राष्ट्रीय दर्जा बनवा लिया। दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनाई तो गुजरात से लेकर हरियाणा आदि राज्यों में चाल, चेहरे, चरित्र का हल्ला और वोट बनाए।

उस नाते छह महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव पर सोचें। मोदी-शाह की पहली प्राथमिकता क्या है? सर्वोच्च प्राथमिकता हिंदी भाषी प्रदेशों में, उत्तर भारत में भाजपा 2019 जितनी सीटें जीते। इसमें एक बड़ा खतरा कांग्रेस व आप के एलायंस का है। यदि इन्होंने एलायंस में चुनाव लड़ा तो दिल्ली (सात सीट), पंजाब (13), हरियाणा (11), चंडीगढ़ (एक), हिमाचल प्रदेश (चार) याकि कुल 36 लोकसभा सीटों पर भाजपा को कड़ी लड़ाई लडऩी होगी। पंजाब में न उसे और न उसकी सहयोगी किसी पार्टी को सीट मिलेगी। वही हरियाणा में भाजपा की गैर-जाट वोटों की राजनीति में केजरीवाल के वैश्य-मध्य वर्ग वोटों से मुश्किल होगी। ऐसा ही दिल्ली में होना है। मतलब इन 36 सीटों पर कांग्रेस व आप का एलायंस एक और एक ग्यारह होता है। यदि ये दोनों पार्टियां मिल कर 15-18  सीटें भी जीत जाएं तो भाजपा का गणित गड़बड़ा जाएगा।

इसलिए न केवल 2024 के लोकसभा चुनाव, बल्कि बाद के हरियाणा के चुनावों के तकाजे में भी जरूरी है कि येन केन प्रकारेण अरविंद केजरीवाल को दागी बता जेल में रखा जाए। लोगों के दिल-दिमाग से केजरीवाल की ईमानदार इमेज पर लगातार हथौड़े चला कर उसे ऐसा बना दिया जाए जिससे बनियों-मध्य वर्ग-गरीब की वोट बैंक राजनीति में वे बदनाम हो जाएं और यह धारणा बने कि आप अब खत्म।

दरअसल राहुल गांधी को पप्पू बनाना और अरविंद केजरीवाल को भ्रष्ट बनाना एक ही रणनीति के दो पहलू हैं। कम उम्र के राहुल और केजरीवाल (हेमंत और तेजस्वी को भी इस श्रेणी में रख सकते है। इसलिए इन पर भी ईडी-सीबीआई की मार) भविष्य में क्योंकि खतरा होंगे तो वक्त रहते इन्हें ऐसा पप्पू व भ्रष्ट करार दो ताकि लोगों के जहन में ये नाम कभी स्वीकार्य ही न हों। देश के लिए प्रधानमंत्री चुनने का जब भी सवाल आए तो लोग यह कहते हुए राहुल गांधी को नकारें कि तो क्या पप्पू को प्रधानमंत्री बनाएं या तिहाड़ में बंद अरविंद केजरीवाल को?

सचमुच हिसाब लगाएं तो मोदी-शाह-भाजपा और भक्तों की मीडिया टीम और मीडिया नैरेटिव में नौ सालों में जिस पैमाने पर राहुल गांधी को पप्पू व केजरीवाल को भ्रष्ट बनाने का जैसा मनोवैज्ञानिक अभियान चला है वैसा भारत के इतिहास में केवल एक ही बार पहले देखने को मिला है। वह अभियान था नरेंद्र मोदी को ‘मौत का सौदागर’ साबित करने का।
और देखिए, अब नरेंद्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री अपने विरोधियों को खत्म करने के लिए कांग्रेसियों, सेकुलरों, वामपंथियों से भी अधिक बेशर्म तौर-तरीकों से किसी को पप्पू बनवा दे रहे हैं तो किसी को भ्रष्ट तो किसी को देशद्रोही।

सो, केजरीवाल का लोकसभा चुनाव के वक्त जेल में होना लगभग तय है। आम आदमी पार्टी चुनाव लडऩे लायक नहीं रहेगी। दिल्ली-पंजाब के कांग्रेसी नेता भी आप को खत्म करार दे एलायंस में ना नुकुर करेंगे। संभव है ईडी आप पार्टी को ही कथित शराब घोटाले में लिप्त करार दे उसके अकाउंट को फ्रीज करने जैसे अचानक ऐसे एक्स्ट्रिम दांव चले, जिससे चुनाव लडऩा ही संभव नहीं रहे।

सवाल है क्या अरविंद केजरीवाल उससे पहले सरेंडर नहीं हो जाएंगे? कईयों का मानना है कि केजरीवाल का सरेंडर कराना, उनकी राजनीति को मायावती, अखिलेश यादव जैसा बनवाना भाजपा का मकसद हो सकता है। राघव चड्ढा या एक्सवाईजेड के जरिए आरएसएस-मोदी-शाह से परोक्ष बात कर पार्टी रहम पा सकती है। इंडिया एलायंस के भीतर विभीषण के रोल को अपना सकती है!

यों राजनीति में असंभव कुछ नहीं है। बावजूद इसके असल बात यह है कि मोदी-शाह के राजनीतिक रोडमैप में जहां केजरीवाल भविष्य का खतरा हैं वही प्रधानमंत्री मोदी पिछले नौ वर्षों में केजरीवाल से मिले अनुभवों को भी नहीं भूल सकते हैं। तभी केजरीवाल और उनकी सरकार के खिलाफ हर वह काम हुआ जो पहले कभी नहीं हुआ। मुख्यमंत्री, राज्य और सरकार के अधिकार तक घटा दिए गए।

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