ऋषिकेश एम्स में 13 साल की किशोरी को मिला जीवनदान

ऋषिकेश एम्स में 13 साल की किशोरी को मिला जीवनदान

ऋषिकेश। एम्स ऋषिकेश के सीटीवीएस विभाग ने 13 वर्षीय एक किशोरी के दिल का सफल टीएपीवीआर ऑपरेशन कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह किशोरी जन्म से ही हृदय रोग से ग्रसित थी। किशोरी को सांस फूलने और जल्दी थकने के साथ धड़कने तेज होने की शिकायत थी।

पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी विभाग में डॉ. यश श्रीवास्तव एवं कॉर्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. भानु दुग्गल ने ईकोकॉर्डियोग्राफी कर इस बीमारी का पता लगाया। इस बीमारी का इलाज आमतौर पर बच्चे के जन्म होने के एक वर्ष की समयावधि में हो जाना चाहिए था, मगर नहीं हो पाया। ऐसे में इस बात की शंका थी कि अब यह पेशेंट ऑपरेशन के लायक है या नहीं।

एम्स सीटीवीएस विभाग के पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जन डॉ. अनीश गुप्ता से परामर्श के बाद मरीज की एंजियोग्राफी की गई, तब फेफड़ों के प्रेशर को नापकर ऑपरेशन का निर्णय लिया गया। डॉ. गुप्ता एवं उनकी टीम ने किशोरी का सफल आपरेशन कर उसे नया जीवन दिया। टीम में एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. अजय मिश्रा, डॉ. ईशान, केशव, प्रियंका एवं अमित कुमार, डॉ. आयेशा, डॉ. विकास, डॉ. पूजा आदि शामिल रहे। डॉ. अनीश ने बताया कि इस बीमारी में मरीज को नाइट्रिक ऑक्साइड वेंटीलेटर की जरूरत पड़ सकती है, जो कि उत्तराखंड राज्य में केवल एम्स ऋषिकेश में उपलब्ध है। इस उपलब्धि पर संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी टीम को बधाई दी है।

क्या है कार्डियक टीएपीवीआर:  यह हृदय का एक जन्मजात रोग है। इसमें फेफड़ों से शुद्ध खून लाने वाली सारी नसें दिल के गलत हिस्से में खुलती हैं। यह तीन प्रकार की होती है। यह बीमारी पैदा होते ही जानलेवा हो सकती है, यदि बच्चा बड़ा भी हो जाता है, तब भी बिना ऑपरेशन के उसकी मृत्यु निश्चित है। इस बीमारी के ऑपरेशन में जान जाने का खतरा भी होता है और मगर सफल ऑपरेशन होने पर मरीज को लम्बी आयु मिलती है।

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण:  इस बीमारी के सबसे गंभीर प्रकार में बच्चा पैदा होते ही पहले महीने में प्नूमोनिय या ऑक्सीजन की कमी से वेंटीलेटर पर जा सकता है। बच्चे के बड़े होने पर सांस फूलना, जल्दी थकान होना, धड़कन तेज चलना आदि मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। धीरे-धीरे हार्ट फेल होने से जान चली जाती है।

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