बद्री घी ने मचाई एनसीआर नई दिल्ली, बैंगलूर में धूम, 2500 रुपये प्रति लीटर बिक रखा घी

बद्री घी ने मचाई एनसीआर नई दिल्ली, बैंगलूर में धूम, 2500 रुपये प्रति लीटर बिक रखा घी

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देहरादून । मध्य हिमालय में बुग्यालों में चरने वाली गायों के दूध से 300 लीटर बद्री घी हर माह बन रहा है। इस घी को डेयरी विभाग 2500 रुपये प्रति लीटर एनसीआर नई दिल्ली, बैंगलूर, में बिक्री कर रहा है। इसकी डिमांड अधिक है। बद्री गाय को अधिक पालने पर जोर देते हुए सहकारिता सविव डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने कहा कि इसके दूध, घी में बढ़ोतरी की जानी चाहिए। इस पर विशेष ध्यान देने के लिए अफसरों को निर्देश दिए गए।

आज राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना के राजपुर रोड़ कार्यालय में हिमालयन गोट, आँचल दूध, मत्स्य के अधिकारियों द्वारा दिए गए प्रस्तुतीकरण में डेयरी की मैनेजर
आदिति दुमोगा ने बताया कि, पशुपालन प्रजनन केंद्र में पल रही बद्री गाय का घी दूसरे गायों की तुलना में बेहद खास है. दिन में सिर्फ 3 से चार लीटर दूध देने वाली बद्री गाय का घी आम गायों के घी से कई गुना महंगा है. उन्होंने बताया कि महंगा घी के वावजूद इसकी खपत ज्यादा है। उन्होंने बताया कि किसानों को दूध का समय पर विभाग द्वारा पैसा मिल रहा है।

आपको जिज्ञासा हो रही होगी आखिर बद्री गाय के घी या दूध में दूसरी गायों के दूध घी तुलना इतना पोषक और महंगा क्यों है? दरअसल उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके में बद्री नस्ल की गाय पाई जाती और गाय की यह नस्ल वहां तेजी से खत्म हो रही थी. इस नस्ल को बचाने में नरियालगांव पशु प्रजनन केन्द्र की मुहिम रंग लाई और अब इस नस्ल की 140 गायें वहां मौजूद हैं. जबकि प्रजनन केंद्र करछी (जोशीमठ ), प्रजनन केंद्र सलना ( जोशीमठ) में 300 बद्री गाय हैं।

आम गायों की अपेक्षा बद्री गाय के दूध में ए-2 प्रोटीन के अलावा अन्य पोषक तत्वों की उपलब्धता के साथ कई रोगों से बचने के लिए इसका घी और दूध सेहत के लिए जरूरी है. बद्री गाय के दूध और घी की मिल रही कीमत ने जहां भारतीय नस्‍ल की बद्री गाय की डिमांड बढ़ी है. वहीं दूध में पाए जाने वाला ए-2 प्रोटीन सेहत को भी तंदुरुस्त रख रहा है.

सचिव सहकारिता डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बद्री गाय के प्रजनन केंद्रों को बढ़ाने तथा इस पर फोकस करनी के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।

गौरतलब है कि बद्री गाय हिमालय के बुग्याल में चरकर दूध देती है। बुग्यालों में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व हैं। उत्तराखंड डेयरी विभाग, यूकेसीडीपी की मदद से यह काम कर रहा है।



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