मुफ़्त की रेवड़ी बनाम गरीबों की मदद

मुफ़्त की रेवड़ी बनाम गरीबों की मदद

अजय दीक्षित
मानवीय मूल्यों में गिरावट का चरम तब उजागर हुआ जब एक सडक़ दुर्घटना में घायल ट्रक चालक की मदद के बजाय लोग ट्रक में भरी सेब की एक हजार से अधिक पेटियां लूट ले गये । चालक चीखता रहा, राहगीर व ग्रामीण सेब की पेटियां लूटते रहे । पंजाब के फतेहगढ़ साहब में जीटी रोड पर स्थित गांव राजेंद्रगढ़ के निकट कार को बचाने के प्रयास में एक सेब से भरा ट्रक पलट गया । घायल चालक व परिचालक प्राथमिक उपचार के बाद लौटे तो देखा कि ट्रक में लदी सेब की पेटियां लूटी जा रही हैं। चालक के अनुसार, ट्रक पलटने से सौ के करीब ही पेटियां बाहर गिरी थी, लेकिन राहगीर व ग्रामीण बारह सौ से अधिक पेटियां लूट ले गये। अमृतसर निवासी चालक जम्मू-कश्मीर से ट्रक में सेव भरकर ओडिशा-झारखंड ले जा रहा था। चालक बार बार ऐसा न करने की दुहाई देता रहा। कहता रहा कि वह मालिक को क्या जवाब देगा। लेकिन किसी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। यहां तक कि रास्ते से गुजरते बड़ी गाडिय़ों में सवार लोग भी पेटी लूटने का लोभ नहीं त्याग सके। मगर जब किसी राहगीर द्वारा घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला गया तो वह वायरल हो गया। देश ही नहीं, कनाडा-अमेरिका से इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रिया सामने आई। देश-दुनिया के पंजाबियों ने वीडियो देखकर घटना को शर्मसार करने वाला माना। सभी ने घटना की भर्त्सना की और ट्रक चालक की मदद की पेशकश की। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस हरकत में आई। सरकार ने भी कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

वीडियो में देखे गये लोगों के फोटो सोशल मीडिया पर डालकर लोगों से उनके बारे में सूचना देने को कहा गया। शाम होते-होते लूट में शामिल कुछ लोगों की शिनाख्त की गयी है। यही नहीं, घटना से व्यथित लोग सामने आये और ट्रक चालक के नुकसान की भरपाई के लिये चेक देकर सार्थक पहल की। सवाल उठता है कि क्यों खाते-पीते घरों के लोग ‘मुफ्त का चंदन, घिस रघुनंदन’ की तर्ज पर सेब की पेटियां लूटने पर आमादा हुए? क्यों उन्हें महसूस नहीं हुआ कि दुर्घटना के शिकार चालक व परिचालक की मदद पहले करनी चाहिए? वह भी उस पंजाब में जहां इस तरह के कृत्य को कभी मान्यता नहीं दी गई। जहां भूखों को खाना खिलाने की समृद्ध परंपरा रही है। ऐसा नहीं है कि ऐसी घटना सिर्फ पंजाब में हुई है, देश के विभिन्न राज्यों से गाहे-बगाहे ऐसी ही घटनाओं के वीडियो वायरल होते रहते हैं। सवाल उन महंगी कार चालकों की नीयत पर भी उठे जिन्होंने कार रोक सेब की पेटियां उठायी और चलते बने। आखिर समृद्ध लोग भी ‘लूट की छूट’ के खेल में क्यों शामिल हो जाते हैं? यह जानते हुए कि ट्रक चालक एक तरफ तो शारीरिक रूप से घायल हुआ है, दूसरी ओर उसकी नौकरी व साख पर भी आंच आएगी। चालक रोता- गिड़गिड़ाता लोगों से कहता भी रहा कि मैं व्यापारी को क्या जवाब दूंगा? मैं क्या सबूत दूंगा कि मेरा माल चोरी हो गया? मुझे झूठा ठहरा दिया जायेगा। यहां हमें सोशल मीडिया को भी श्रेय देना होगा जिसने लूट के खेल को जगजाहिर कर दिया। अन्यथा जीटी रोड के एक गांव के पास घटी घटना का सच कभी सामने न आता। व्यापारी के कहीं उसने ट्रक का माल किसी दूसरे व्यापारी को तो नहीं बेच दिया। निस्संदेह, ज्यों-ज्यों समाज में प्रलोभन थम नहीं रहा है। यही वजह है कि पंजाब गई। उन्होंने इस घटना को पंजाब की अस्मिता पर हमारी भौतिक उन्नति तब तक सारहीन है जब तक हमारे व्यवहार में मानवीय मूल्य जीवंत नहीं होंगे । इंसानियत का पराभव हमारी गम्भीर चिंता का विषय होना चाहिए । व्यापारी के मन में ट्रक चालक को लेकर शंका जन्म लेती कि कहीं उसने ट्रक का माल किसी दूसरे व्यापारी को तो नहीं बेच दिया। निस्संदेह, ज्यों-ज्यों समाज में समृद्धि व संपन्नता आई है, लोगों का अंतहीन प्रलोभन थम नहीं रहा है। यही वजह है कि पंजाब के प्रबुद्ध और जागरूक लोगों में इस घटना की तीखी प्रतिक्रिया भारत व सात समुद्र पार भी देखी गई। उन्होंने इस घटना को पंजाब की अस्मिता पर

दाग माना और मदद की पेशकश भी की। यह घटना हमें कई सबक देकर जाती है । बताती है कि हमारी भौतिक उन्नति तब तक सारहीन है जब तक हमारे व्यवहार में मानवीय मूल्य जीवंत नहीं होंगे । इंसानियत का पराभव हमारी गम्भीर चिंता का विषय होना चाहिए ।

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