यात्रियों को लग सकता है झटका रोडवेज बसाें-टैक्सियों का बढेगा किराया

यात्रियों को लग सकता है झटका रोडवेज बसाें-टैक्सियों का बढेगा किराया

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देहरादून।  चंपावत उपचुनाव के समाप्त होने पर अब परिवहन विभाग राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) की बैठक की तैयारी में जुट गया। मंगलवार तक एसटीएस बैठक की सूचना जारी हो सकती है। परिवहन आयुक्त रणवीर सिंह चौहान ने इसके संकेत दिए। सूत्रों के अनुसार एसटीए की बैठक 15 जून से पहले पहले प्रस्तावित है। इस बैठक में सार्वजनिक वाहनों के किराया में वृद्धि के बहुप्रतिक्षित प्रस्ताव पर भी निर्णय होना। सूत्रों के अनुसार बस, टैक्सी, मैक्सी, सिटी बस आदि विभिन्न श्रेणियों में 15 से 40 फीसदी तक किराया बढ़ सकता है। किराया संशोधन समिति ने इसी अनुपात में किराया बढोत्तरी की सिफारिश की है। परिवहन कारोबारी पिछले काफी समय से किराया बढोत्तरी की मांग कर रहे हैं। दरअसल, एसटीए ने पिछली बार किराया बढोत्तरी वर्ष 2020 में की थी। तब डीजल की कीमत 55 रुपये के करीब थी।

इस वक्त डीजल का मूल्य 90 रुपये से करीब है। सूत्रों के अनुसार किराया संशोधन समिति ने रोडवेज, प्राइवेट बस, टैक्सी, मैक्सी, ऑटो रिक्शा, विक्रम के लिए डीजल-पेट्रोल मूल्य के आधार किराया दर बढ़ाने की सिफारिश की है। ई रिक्शा और एंबुलेस का किराया भी इस बार तय किया जा सकता है।

हिमाचल के समान किराया बढ़ाने की मांग: परिवहन कारोबारी सार्वजनिक वाहनों का किराया हिमाचल की तर्ज पर बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। कुमायू मोटर ऑनर्स यूनियन(केमू) के अध्यक्ष सुरेश डसीला का कहना है कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड भौगोलिक रूप से करीब करीब एक समान हैं। लेकिन वाहनों के किराए में दो गुने का अंतर हैं।  हिमाचल में सार्वजनिक वाहनों के लिए प्रति किलोमीटर किराया  सवा दो रुपये तक  है। जबकि उत्तराखंड में यह महज डेढ़ रुपया है। हालिया दो साल के भीतर डीजल का मूल्य दोगुने के करीब पहुंच चुका है। छोटे वाहनों की वजह से भी बस आपरेटर के कारोबार को काफी धक्का लगा है। परिवहन विभाग को एसटीए की बैठक जल्द कर किराया बढोत्तरी पर सभी तथ्यों और व्यवहारिकता को ध्यान में रखते हुए ही निर्णय करना चाहिए।



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