हरेला हरियाली और ख़ुशहाली का प्रतीक- ललित जोशी

हरेला हरियाली और ख़ुशहाली का प्रतीक- ललित जोशी

देहरादून। उत्तराखंड का लोक पर्व हरेला प्रदेश में पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है। पूरे प्रदेश में लोक वृक्षारोपण कर प्रकृति के इस पर्व मना रहे हैं। हरेला पर्व मुख्यत: उत्तराखण्ड़ के कुमाऊं मण्डल में मनाया जाता रहा है, जहां लोग तिथि के अनुसार सात प्रकार के अनाज को एक विशेष पात्र में बोते हैं, जिसे 10 वें दिन पूजा-अर्चना के बाद काटा जाता है, जिसे फिर शिरोधार्य किया जाता है। लेकिन विगत कुछ वर्षों से यह त्यौहार कुमाऊं मण्डल के गांव-घरों तक ही सीमित न रहकर पूरे प्रदेश में वृहद वृक्षारोपण के तौर पर मनाए जाने लगा है। सरकार के साथ ही विभिन्न संस्थाएं, संगठन भी इस त्यौहार को हर्षोल्लास के साथ मना रही है।

देहरादून के सीआईएमएस एंड यूआईएचएमटी ग्रुप तथा उत्तराखण्ड डिफेंस एकेडमी देहरादून में भी हरेला पर्व पर वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। तीनों संस्थानों के छात्र-छात्राओं ने सीआईएमएस कैंपस कुंआवाला के चारों ओर वृक्षारोपण किया। ग्रुप के चेयरमैन एडवोकेट ललित मोहन जोशी ने कॉलेज परिसर में पौंधा लगाया और सभी लोगों को हरेला पर्व की शुभकामनाएं दी। उन्होंने लोगों से अधिक से अधिक पेड़ लगाने की अपील की है। हरेला पर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया प्रकृति को समर्पित यह पर्व पूरे प्रदेश में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी यह त्यौहार पारम्परिक तौर पर मनाते आ रहे हैं, हरेला से 9 दिन पूर्व 5 या 7 अनाजों को रिंगाल की टोकरी में बोया जाता है। और सुबह ताजे पानी से इसे सींचा जाता है। इसे धूप की सीधी रोशनी से भी बचाया जाता है, और 9वें दिन गुडाई करने के बाद 10वें दिन इसकी पूजा करने के बाद हरेले को काटकर चढ़ाया जाता है। लोग इसे फिर शिरोधार्य करने के साथ ही अपने घर के दरवाजों पर गाय के गोबर के साथ लगाते हैं।

वहीं उत्तराखण्ड डिफेंस एकेडमी के डायरेक्टर मेजर (रिटा.) ललित सामंत ने कहा कि आज हरेला पर्व के अवसर पर डिफेंस अकेडमी के छात्र-छात्राओं ने भी वृक्षारोपण कार्यक्रम में हिस्सा लेकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि विश्व का तापमान निरन्तर बढ़ रहा है, इस तापमान को बढ़ने से रोकने के लिये हमें पेड़-पौंधे लगाने तथा उनका संरक्षण करने पर अधिक से अधिक जोर देना होगा।

मेजर सामंत ने कहा आज हमें संकल्प लेना है कि हम अधिक से अधिक पेड़ लगाकर उनका संरक्षण भी करेंगे। हमें अन्य प्रकार के पेड़-पौंधे लगाने के साथ ही फलदार पौंधों को भी अधिक से अधिक मात्रा में लगाने पर विचार करना चाहिये, जिससे युवा पीढ़ी को रोजगार के अधिक से अधिक अवसर प्राप्त हो सकें।

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