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झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत 8 विधायकों की कुर्सी खतरे में, जानिए क्या-क्या है आरोप

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रांची । झारखंड में विधायकी गंवाने का खतरा सिर्फ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर ही नहीं है, बल्कि ऐसे नेताओं की लंबी फेहरिस्त है। झामुमो में जहां हेमंत सोरेन, बसंत सोरेन, मिथिलेश कुमार ठाकुर की विधानसभा सदस्यता खतरे में है, वहीं भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी और समरीलाल की सदस्यता भी खत्म हो सकती है। यही नहीं कांग्रेस के निलंबित विधायक इरफान अंसारी, नमन विक्सल और राजेश कच्छप भी सदस्यता गंवाने की जद में आ सकते हैं। इन आठ विधायकों का मामला इस समय चुनाव आयोग और झारखंड विधानसभा अध्यक्ष न्यायाधिकरण में विचाराधीन है। सिर्फ देखना यह है कि कब किसकी बारी आती है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का क्या है मामला
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बरहेट विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। इन पर आरोप है कि खान विभाग का मंत्री होते हुए अपने नाम से रांची के अनगड़ा में पत्थर खनन लीज ले रखा है। भाजपा के आरोप के बाद चुनाव आयोग ने आरोप की सुनवाई पूरी कर ली है। चुनाव आयोग ने अपना मंतव्य राज्यपाल को भेज दिया है। राज्यपाल ने अपना आदेश अभी जारी नहीं किया है। कहा जा रहा कि चुनाव आयोग ने सदस्यता रद करने की बात कही है। अब राज्यपाल रमेश बैस के आदेश की प्रतीक्षा हो रही है। आदेश सार्वजनिक होने के बाद सबकुछ साफ हो जाएगा। वैसे दावा किया जा रहा कि सदस्यता समाप्त करने की अनुशंसा की गई है।

विधायक बसंत सोरेन का क्या है मामला
हेमंत सोरेन के छोटे भाई हैं बसंत सोरेन। दुमका विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए हैं। इन पर भाजपा ने आरोप लगाया है कि चुनाव के समय शपथपत्र में इन्होंने खनन लीज अपने नाम होने की बात छिपाई है। बसंत का दावा है कि उन्होंने ऐसा नहीं किया है। चुनाव आयोग मामले की सुनवाई कर रहा है। माना जा रहा कि शीघ्र ही इस मामले में सुनवाई पूरी कर चुनाव आयोग अपना फैसला सुना देगा। यह कयास लगाया जा रहा कि हेमंत सोरेन मामले में फैसला सुनाए जाने के बाद बसंत सोरेन मामले में फैसला आएगा।

मिथिलेश कुमार ठाकुर का मामला समझें
मिथिलेश कुमार ठाकुर गढ़वा से झामुमो के विधायक हैं। हेमंत सोरेन सरकार में पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री हैं। इन पर आरोप है कि चुनावी नामांकन फॉर्म में गलत जानकारी दी है। वह मेसर्स सत्यम बिल्डर्स चाईबासा कंपनी में पार्टनर हैं। यह कंपनी ठेका लेती है। वर्ष 2019 में इस कंपनी ने कई ठेका लिए। इसलिए लाभ का पद का मामला इन पर बनता है। चुनाव आयोग ने मामले में गढ़वा डीसी से रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट चुनाव आयोग के पास है। इस पर चुनाव आयोग सुनवाई कर रहा है। कभी भी इस मामले में अपना फैसला दे सकता है। मंत्री का दावा है कि आरोप गलत है। विरोधी भ्रम फैला रहे हैं।

बाबूलाल मरांडी पर दल-बदल करने आरोप
भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी पर आरोप है कि उन्होंने झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़ा। जीतने के बाद इनके दो विधायक कांग्रेस में चले गए और खुद भाजपा में चले आए। नियमानुसार पार्टी का विलय नहीं हुआ। यह मामला विधानसभा स्पीकर न्यायाधिकरण में है। 30 अगस्त को मामले की सुनवाई होने वाली है। राज्य में सियासी उलटफेर की संभावनाओं को देखते हुए इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसमें दोनों पक्षों की तरफ से बहस पूरी हो चुकी है। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि पिछला विधानसभा चुनाव झाविमो के सिंबल पर लड़ने के बाद वे भाजपा में शामिल हो गए। यह दल-बदल के दायरे में आता है। यही शिकायत झाविमो के सिंबल पर चुनाव जीतने वाले प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के खिलाफ भी है। बंधु तिर्की आय से अधिक संपत्ति के मामले में पूर्व में ही अयोग्य साबित हो चुके हैं।

भाजपा विधायक समरीलाल का जानिए मामला
समरीलाल भाजपा के विधायक हैं। रांची के कांके विधानसभा सीट से विधायक चुने गए हैं। इन पर फर्जी जाति प्रमाणपत्र का लाभ लेने का आरोप साबित हो चुका है। समरीलाल की विधायकी खत्म होने वाली थी, लेकिन वह राहत के लिए झारखंड हाईकोर्ट चले गए। मामला अदालत में सुनवाई के लिए विचाराधीन है। चूंकि इन पर दोष साबित हो चुका है, इसलिए चुनाव आयोग और झारखंड हाई कोर्ट कभी भी फैसला सुना सकता है। इनकी विधायकी पर भी खतरा मंडरा रहा है। समरीलाल का कहना है कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है।

इरफान अंसारी, नमन विक्सल व राजेश कच्छप
डा इरफान अंसारी झारखंड के जामताड़ा क्षेत्र के विधायक हैं। नमन विक्सल कोनगाड़ी कोलीबीरा क्षेत्र के विधायक हैं। राजेश कच्छप खिजरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं। तीनों कांग्रेस के विधायक हैं। इन तीनों पर आरोप है कि सरकार गिराने के लिए पैसा लिया है। तीनों पिछले दिनों कोलकाता में 49 लाख रुपये के साथ पकड़े गए थे। जेल गए। फिर बेल पर बाहर आए। बंगाल की सीआइडी टीम इनकी जांच कर रही है। इधर, कांग्रेस ने इनको पार्टी से निलंबित कर दिया है। इतना ही नहीं इनकी विधानसभा सदस्यता रद करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भी लिख दिया है। विधानसभा अध्यक्ष ने तीनों विधायकों को नोटिस भेजा है। इस पर चंद रोज में ही सुनवाई होने वाली है। इनकी विधायकी भी खतरे में है। वैसे तीनों विधायक साजिश के तहत फंसाने का आरोप लगा रहे हैं।



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