पौड़ी बस अड्डे के गार्डर पुल पर क्यों उठ रहे सवाल

पौड़ी बस अड्डे के गार्डर पुल पर क्यों उठ रहे सवाल

गार्डर पुल की गुणवत्ता व टिकाऊ पन पर बहस शुरू

देखें वीडियो- अधिकारी बता रहे है पुल को सुरक्षित प्रमुख अभियंता कर रहे है जांच की बात

पौड़ी। सफेद हाथी बन चुका मंडल मुख्यालय पौड़ी का निर्माणाधीन बस अड्डा एक बार फिर चर्चा में है। बरसात के मौसम में प्रदेश के कई पुलों के धराशायी होने के बाद पौड़ी के विवादास्पद बस अड्डे पर बन रहे LVR पुल की गुणवत्ता व टिकाऊ पन को लेकर नये सिरे से बहस शुरू हो गयी है।

निर्माण कार्य कार्यदायी संस्था प्रांतीय खंड पौड़ी, लोक निर्माण विभाग के जिम्मे है। हालांकि, विभागीय सूत्रों का कहना है कि गार्डर पुल का डिजाइन आईआईटी मुंबई ने किया है। और इसे पूरी तरह सुरक्षित करार दिया है। लेकिन वाहनों के लिए ओवरब्रिज तकनीक से बन रहे गार्डर पुल को लेकर स्थानीय नागरिकों में डर बना हुआ है। इस बीच, उत्तराखंड के लोकनिर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता अभी भी इस पुल की जांच की बात कर रहे है।

2006 में तैयार किया गया था बस अड्डे के खाका

गौरतलब है कि जिला मुख्यालय पौड़ी में 2006 को बहुमंजिला बस अड्डे के निर्माण का खाका तैयार किया गया था। बस अड्डे के निर्माण की लागत 4.52 करोड़ थी। तत्कालीन प्रदेश सरकार ने निर्माण कार्य के लिए 2.26 करोड़ रुपए जारी भी किए। और 2011 में निर्माण कार्य शुरू हुआ। अड्डे के भूतल का निर्माण होने के बाद वर्ष 2012 में प्रदेश सरकार ने फिर 2.26 करोड़ की राशि पालिका प्रशासन को प्रदान की। इसके बाद अड्डे के प्रथम तल की छत का लेंटर डाले जाने के साथ अन्य कार्य किए गए। लेकिन बाद में प्रदेश सरकार से धनराशि न मिलने पर वर्ष 2014 से वर्ष 2017 तक निर्माण कार्य नहीं हो पाया।

मई 2019 में प्रदेश सरकार ने 1.57 करोड़ की धनराशि की घोषणा पर 57 लाख अवमुक्त किए। जिसके बाद अड्डे के द्वितीय तल की छत का लेंटर डाला गया। अब तक यह राशि नौ करोड पार कर चुकी है लेकिन बस अड्डे के निर्माण को देखकर लगता है कि इसके निर्माण का ज्यादात्तर कार्य नगर पालिका की कागजी फाइलों में ही किया गया है।

इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस पुल को जाने माने पुल डिजायनर प्रमोद कुमार चमोली ने किया है। देश में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के जाने माने नाम प्रोफेसर जहाँगीर ने पुल के डिजायन को प्रमाणित किया है।इंजीनियरिंग विभाग के आला अधिकारियों के परस्पर विरोधी बयानों से स्थानीय लोगों में आशंका और डर का माहौल बना हुआ है।

इधर, बिल्डिंग डिजाइन के बारे में अभी तक भी स्थिति साफ नहीं है पुल के एक हिस्से को जहाँ पर रेस्ट करवाया जा रहा है उसको लेकर आशंका दूर नहीं हो पा रही है। पुल के एक छोर पर पिल्लर को नहीं बनाने को लेकर भी विरोधाभासी बयान आ रहे हैं। बस अड्डे की छत पर हल्के वाहनों की पार्किंग प्रस्तावित तो है लेकिन कहां पर प्रस्तावित किया गया है इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं है। कुछ अभियंता दबी ज़ुबान से इसकी आलोचना भी कर रहे है।

पौड़ी के अंदर इस पुल को लेकर जारी राजनीति व खींचतान भी चर्चा का विषय बनी हुई है। बीते 12 साल से पौड़ी के बस अड्डे के आस पास जबरदस्त अव्यवस्था बनी हुई है। बरसों बरस से नये बस अड्डे के निर्माण से राहगीरों व स्थानीय निवासियों को एक तरह से सजा काटनी पड़ रही है।

पौड़ी से भाजपा व कांग्रेस ने कई मुख्यमंत्री व मंत्री दिए । इसके बावजूद पौड़ी अपने इन हालातों से उबर नहीं पाया।

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